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हिन्दी में 10 शीर्ष नैतिक कहानियाँ | Top 10 Moral Stories in Hindi

दोस्तों Moral Stories हमारे जीवन के मार्गदर्शन में अहम योगदान देती है, पहले माताएँ , दादियाँ व समाज मे लोग नैतिक कहानी सुनाया करते थे परंतु आज यह समाज से गायब सा हो गया है ये Moral Story बच्चो की जीवन में सही गलत का पहचान व जीवन का मार्गदर्शन करती थी आज इसी क्रम में हम आपके लिए Top 10 Moral Stories  in hindi में लाए हैं हिन्दी में 10 शीर्ष नैतिक कहानियाँ चलिये पढ़ते हैं :-

Top 10 moral stories in hindi



    Top 10 Moral Stories in Hindi | हिन्दी में 10 शीर्ष नैतिक कहानियाँ

    1. शेर और चूहे की कहानी | Moral Stories in hindi
    2. अंगूर खट्टे हैं | Moral Story in hindi
    3. मेहनत का फल | Moral Story for kids
    4. सोने का अंडा | Top Moral Stories in Hindi
    5. दुख का कारण | नैतिक कहानी
    6. प्यासा कौवा नैतिक कहानी | Moral Story For Children
    7. ईश्वर की योजना | Top 10 Moral Stories In Hindi
    8. माँ की ममता | नैतिक कहानियाँ हिन्दी में
    9. दो बिल्ली और बंदर की कहानी | Top 10 Moral Stories in Hindi
    10. चार ब्राह्मण और शेर की कहानी | Top 10 Stories in Hindi


    1. शेर और चूहे की कहानी | Moral Stories in hindi

    एक बार एक शेर सो रहा होता है और एक चूहा उसके ऊपर चढ़ के उसकी नींद को भटका देता है।

    शेर उसे गुस्से में पकड़ लेता है और उसे खाने लगता है पर चूहा उसे कहता है की, “आप अगर मुझे छोड़ दोगे तो में आपकी किसी दिन मदद जरूर करूँगा।”

    यह सुनके शेर हँसता है और उसे छोड़ देता है।

    कुछ दिन बाद कुछ शिकारी शेर को जाल में कैद कर लेते हैं और शेर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगता है उसकी आवाज़ चूहा पहचान लेता है और भागता हुआ उसके पास आता है और शेर के जाल को काट के शेर को आज़ाद कर देता है।

    नैतिक शिक्षा: दया अपना इनाम ज़रूर लाती है, कोई इतना छोटा नहीं है कि यह वह मदद नहीं कर सकता।


    2. अंगूर खट्टे हैं | Moral Story in hindi

    एक भूखी लोमड़ी जंगल से होकर गुजर रही थी। रास्ते में अंगूर के लटकते हुए गुच्छों को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। वह बोली,”ये अंगूर अवश्य ही मीठे और रसीले होंगे।”

    लोमड़ी ने अंगूर पाने के लिए कई बार ऊँची छलांग लगाई, पर अंगूर उसके हाथ नहीं आए। वह सोच रही थी कि काश! अंगूरों की वेल थोड़ी नीचे होती तो वह आसानी से अंगूर तोड़ लेती या फिर उसका कोई दोस्त ही मिल जाता तो वह उसकी मदद से अंगूर तोड़ पाती।

    उसने दूर-दूर तक नजर दौड़ाई, लेकिन कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था। हमेशा पेड़ों पर ही उछल-कूद करने वाला बंदर भी कहीं नहीं दिख रहा था।लोमड़ी ने थोड़ा आराम करके फिर छलांग लगाई ।

    इस बार वह पहले से ज्यादा ऊँचा कूदी थी पर फिर भी अंगूर उसके हाथ नहीं लगे। वह बुरी तरह थक चुकी थी। हारकर उसने अंगूर तोड़ने का इरादा यह कहते हुए छोड़ दिया,”अंगूर खट्टे हैं। मैं खट्टे अंगूर नहीं खाती।”  

    शिक्षा : जो प्राप्त हो सके उसी वस्तुओं का ही लालच करना ठीक है।


    3. मेहनत का फल | Moral Story for kids

    एक गांव में दो मित्र नकुल और सोहन रहते थे। नकुल बहुत धार्मिक था और भगवान को बहुत मानता था। जबकि सोहन बहुत मेहनती थी। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा जमीन खरीदी। जिससे वह बहुत फ़सल ऊगा कर अपना घर बनाना चाहते थे।

    सोहन तो खेत में बहुत मेहनत करता लेकिन नकुल कुछ काम नहीं करता बल्कि मंदिर में जाकर भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करता था। इसी तरह समय बीतता गया। कुछ समय बाद खेत की फसल पक कर तैयार हो गयी।

    जिसको दोनों ने बाजार ले जाकर बेच दिया और उनको अच्छा पैसा मिला। घर आकर सोहन ने नकुल को कहा की इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलेगा क्योंकि मैंने खेत में ज्यादा मेहनत की है।

    यह बात सुनकर नकुल बोला नहीं धन का तुमसे ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए क्योकि मैंने भगवान से इसकी प्रार्थना की तभी हमको अच्छी फ़सल हुई। भगवान के बिना कुछ संभव नहीं है। जब वह दोनों इस बात को आपस में नहीं सुलझा सके तो धन के बॅटवारे के लिए दोनों गांव के मुखिया के पास पहुंचे।

    मुखिया ने दोनों की सारी बात सुनकर उन दोनों को एक – एक बोरा चावल का दिया जिसमें कंकड़ मिले हुए थे। मुखिया ने कहा की कल सुबह तक तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करके लाने है तब में निर्णय करूँगा की इस धन का ज्यादा हिस्सा किसको मिलना चाहिए।

    दोनों चावल की बोरी लेकर अपने घर चले गए। सोहन ने रात भर  जागकर चावल और कंकड़ को अलग किया। लेकिन नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवान से चावल में से कंकड़ अलग करने की प्रार्थना की।

    अगले दिन सुबह सोहन जितने चावल और कंकड़ अलग कर सका उसको ले जाकर मुखिया के पास गया। जिसे देखकर मुखिया खुश हुआ। नकुल वैसी की वैसी बोरी को ले जाकर मुखिया के पास गया।

    मुखिया ने नकुल को कहा की दिखाओ तुमने कितने चावल साफ़ किये है। नकुल ने कहा की मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है की सारे चावल साफ़ हो गए होंगे। जब बोरी को खोला गया तो चावल और कंकड़ वैसे के वैसे ही थे।

    जमींदार ने नकुल को कहा की भगवान भी तभी सहायता करते है जब तुम मेहनत करते हो। जमींदार ने धन का ज्यादा हिस्सा सोहन को दिया। इसके बाद नकुल भी सोहन की तरह खेत में मेहनत करने लगा और अबकी बार उनकी फ़सल पहले से भी अच्छी हुई।

    सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी भी भगवान के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।


    4. सोने का अंडा | Top Moral Stories in Hindi

    कुछ साल पहले रामू नामक एक लकड़हारा था। उनकी पत्नी हेमा और दो छोटे बच्चे थे। हर सुबह रामू पास के जंगल में जाता और पूरे दिन लकड़ी काटता। दोपहर में वह अपने दोपहर के भोजन के एक छोटे से पालतू कुत्ते को दे देंगे। शाम को वह लकड़ी इकट्ठा करता। वह उन्हें काटकर शहर ले गया है।

    वह रास्ते में कुछ फल लूटता था। और वह उन सभी को जंगल में रहने वाले एक ऋषि को दे देता। और वह उनकी शुभकामनाएँ लेता था। उसके बाद, वह शहर में अपनी लकड़ी बेचने जाता था।

    अपनी मेहनत भरी जिंदगी के कारण। वह और उसका परिवार बहुत गरीबी में जीवन व्यतीत करते थे। वह बड़े प्रयासों से कमाता था। केवल 50 रुपये। मस्तान भाई। मुझे आज 100 रुपये चाहिए। क्रिप्या मेरि सहायता करे। क्या आपको लगता है कि मैं यहां परोपकार कर रहा हूं? मैंने तुम्हें अपनी लकड़ी के लिए भुगतान किया है।

    अधिक पैसे के लिए अधिक लकड़ी प्राप्त करें। मुझे कल किसी भी तरह लकड़ी को दोगुना करना होगा। अन्यथा, हम महीने के अंत तक जीवित नहीं रहेंगे। यह भी कोई जिंदगी है! रामू, अगर तुम मुझे और पैसे नहीं देते। मैं घरेलू खर्चों का प्रबंधन कैसे करूंगा? आप पूरा दिन बाहर रहते हैं।

    आप नहीं जानते कि मैं हर किसी का सामना कैसे करता हूं। दुकानदार, दूधवाला, और अन्य। अधिक पैसा कमाने के लिए आपको वास्तव में कुछ करना होगा। मैं समझ सकता हूँ। बस कुछ और दिनों के लिए सहन करें। मैं निश्चित रूप से बेहतर जीवन के लिए एक रास्ता खोजूंगा। परमेश्वर! अब हम क्या करेंगे?

    सरकार ने अब जंगल से गिर गए पेड़ों को अनुमति देना भी बंद कर दिया है। रामू, हमें आज कुछ पैसों का इंतजाम करना पड़ेगा। नहीं तो हम भूखे सो जाएंगे।

    यदि आप हमें खिलाने के लिए नहीं कमा सकते तो हमारे लिए कुछ जहर के लिए कमाएं। हम सभी के पास वह होगा और मर जाएगा। हमारे लिए इस तरह जीने से मर जाना बेहतर है। भगवान के लिए हेमा की तरह मत बोलो। मैं निश्चित रूप से एक रास्ता खोजूंगा।

    कुछ ऐसा होना चाहिए जो मैं कर पाऊंगा। मुझे फिर से गाँव जाना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए। पवित्र एक, मैं हर दिन आपके लिए फल लाता था। लेकिन आज मैं आपसे कुछ माँगने आया हूँ। मुझे माफ़ कर दें।

    लेकिन मेरी हालत खराब है और मैं कमजोर भी हूं। मैं अपने परिवार का पालन-पोषण करने में भी सक्षम नहीं हूं। रामू, मैं आपको एक जादुई मुर्गी दूंगा जो आपकी समस्या का समाधान करेगी। यह आपको हर दिन एक सुनहरा अंडा देगा। आप इसे बेच सकते हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकते हैं।

    उस मुर्गी की अच्छी देखभाल करो। यह हमेशा आपकी मदद करेगा। हेमा। यह मुर्गी आज रात के खाने के लिए नहीं है। यह एक जादुई मुर्गी है जो हर दिन हमारे लिए एक सुनहरा अंडा देगी।

    पवित्र ऋषि ने इसे मुझे दिया था। – कुंद मत करो। क्या कोई मुर्गी कभी सुनहरे अंडे दे सकती है? ऋषि आपके पैर खींच रहा होगा। मुझे वह मुर्गी दे दो। वैसे भी, यह लंबे समय से मेरे पास चिकन है। कोई बात नहीं, हेमा। हम कल सुबह तक इंतजार करेंगे। अगर मुर्गी ने अंडे नहीं दिए तो हम उसे दोपहर में खा लेंगे।

    उस मुर्गी ने रोज एक सुनहरा अंडा रखा। जिस प्रकार से ऋषि ने कहा है। और जल्द ही रामू अमीर हो गया। रामू, मुझे मकान मालिक से बड़ा मकान चाहिए। लेकिन हेमा, इतने पैसे कहां से लाऊंगी? हमारे लिए मुर्गी के अंडे हमें इतना पैसा नहीं देते हैं। तुम क्या मूर्ख पति हो।

    अगर हम हर दिन इसका इंतजार करते हैं तो शायद नहीं। लेकिन अगर हम मुर्गी के पेट से एक ही बार में सभी अंडे निकाल सकते हैं तो हम जीवन के लिए समृद्ध हो सकते हैं। बहुत अच्छा।

    मैंने इसके बारे में पहले क्यों नहीं सोचा? हम इसे अब खुले में कटौती करेंगे और देखेंगे। परमेश्वर। अंडे नहीं हैं। ये कैसे हो गया? ये कैसे हो गया?

    चूंकि मुर्गी मर गई थी इसलिए रामू अपनी पुरानी परिस्थितियों में वापस चला गया। आपने उन हाथों को खो दिया है जो आपको पोषण कर रहे थे। अब मुश्किल हो जाएगा। इसके लिए आपका लालच जिम्मेदार है। हो सकता है कि आपने अब एक सबक सीख लिया हो। बाहर जाओ। आपकी समस्या के समाधान के लिए मेरे पास और कोई उपाय नहीं है।


    5. दुख का कारण | नैतिक कहानी

    एक शहर में एक आलीशान और शानदार घर था. वह शहर का सबसे ख़ूबसूरत घर माना जाता था. लोग उसे देखते, तो तारीफ़ किये बिना नहीं रह पाते.

    एक बार घर का मालिक किसी काम से कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर चला गया. कुछ दिनों बाद जब वह वापस लौटा, तो देखा कि उसके मकान से धुआं उठ रहा है. करीब जाने पर उसे घर से आग की लपटें उठती हुई दिखाई पड़ी. उसका ख़ूबसूरत घर जल रहा था. वहाँ तमाशबीनों की भीड़ जमा थी, जो उस घर के जलने का तमाशा देख रही थी.

    अपने ख़ूबसूरत घर को अपनी ही आँखों के सामने जलता हुए देख वह व्यक्ति चिंता में पड़ गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे? कैसे अपने घर को जलने से बचाये? वह लोगों से मदद की गुहार लगाने लगा कि वे किसी भी तरह उसके घर को जलने से बचा लें.

    उसी समय उसका बड़ा बेटा वहाँ आया और बोला, “ पिताजी, घबराइए मत. सब ठीक हो जायेगा.”

    इस बात पर कुछ नाराज़ होता हुआ पिता बोला, “कैसे न घबराऊँ? मेरा इतना ख़ूबसूरत घर जल रहा है.” 

    बेटे ने उत्तर दिया, “पिताजी, माफ़ कीजियेगा. एक बात मैं आपको अब तक बता नहीं पाया था. कुछ दिनों पहले मुझे इस घर के लिए एक बहुत बढ़िया खरीददार मिला था. उसने मेरे सामने मकान की कीमत की ३ गुनी रकम का प्रस्ताव रखा. सौदा इतना अच्छा था कि मैं इंकार नहीं कर पाया और मैंने आपको बिना बताये सौदा तय कर लिया.”

    ये सुनकर पिता की जान में जान आई. उसने राहत की सांस ली और आराम से यूं खड़ा हो गया, जैसे सब कुछ ठीक हो गया हो. अब वह भी अन्य लोगों की तरह तमाशबीन बनकर उस घर को जलते हुए देखने लगा.

    तभी उसका दूसरा बेटा आया और बोला, “पिताजी हमारा घर जल रहा है और आप हैं कि बड़े आराम से यहाँ खड़े होकर इसे जलता हुआ देख रहे हैं. आप कुछ करते क्यों नहीं?”

    “बेटा चिंता की बात नहीं है. तुम्हारे बड़े भाई ने ये घर बहुत अच्छे दाम पर बेच दिया है. अब ये हमारा नहीं रहा. इसलिए अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता.” पिता बोला.

    “पिताजी भैया ने सौदा तो कर दिया था. लेकिन अब तक सौदा पक्का नहीं हुआ है. अभी हमें पैसे भी नहीं मिले हैं. अब बताइए, इस जलते हुए घर के लिए कौन पैसे देगा?”

    यह सुनकर पिता फिर से चिंतित हो गया और सोचने लगा कि कैसे आग की लपटों पर काबू पाया जाए. वह फिर से पास खड़े लोगों से मदद की गुहार लगाने लगा.

    तभी उसका तीसरा बेटा आया और बोला, “पिता जी घबराने की सच में कोई बात नहीं है. मैं अभी उस आदमी से मिलकर आ रहा हूँ, जिससे बड़े भाई ने मकान का सौदा किया था. उसने कहा है कि मैं अपनी जुबान का पक्का हूँ. मेरे आदर्श कहते हैं कि चाहे जो भी हो जाये, अपनी जुबान पर कायम रहना चाहिए. इसलिए अब जो हो जाये, जबान दी है, तो घर ज़रूर लूँगा और उसके पैसे भी दूंगा.”

    पिता फिर से चिंतामुक्त हो गया और घर को जलते हुए देखने लगा।

    सीख :- मित्रों, एक ही परिस्थिति में व्यक्ति का व्यवहार भिन्न-भिन्न हो सकता है और यह व्यवहार उसकी सोच के कारण होता है. उदाहारण के लिए जलते हुए घर के मालिक को ही लीजिये. घर तो वही था, जो जल रहा था. लेकिन उसके मालिक की सोच में कई बार परिवर्तन आया और उस सोच के साथ उसका व्यवहार भी बदलता गया. असल में, जब हम किसी चीज़ से जुड़ जाते हैं, तो उसके छिन जाने पर या दूर जाने पर हमें दुःख होता है. लेकिन यदि हम किसी चीज़ को ख़ुद से अलग कर देखते हैं, तो एक अलग सी आज़ादी महसूस करते हैं और दु:ख हमें छूता तक नहीं है. इसलिए दु:खी होना और ना होना पूर्णतः हमारी सोच और मानसिकता (mindset) पर निर्भर करता है. सोच पर नियंत्रण रखकर या उसे सही दिशा देकर हम बहुत से दु:खों और परेशानियों से न सिर्फ बच सकते हैं, बल्कि जीवन में नई ऊँचाइयाँ भी प्राप्त कर सकते हैं.  


    6. प्यासा कौवा नैतिक कहानी | Moral Story For Children

    प्यासे कौए की बहुत ही प्रेरणा दायक कहानी का वर्णन करने जा रहे हैं। कोमलवन नमक जंगल में भीषण गर्मी पड़ी।  जिस वजह से पूरा जंगल सूख चूका था और पानी का एक कतरा भी नहीं बचा था ।  

    सभी जानवर, पक्षी प्यासे थे और पानी पीने के लिए तड़प रहे थे। 
    उसी जंगल के एक कौआ भी रहता था जो आज बहुत ही प्यासा था। सुबह से पानी ढून्ढ रहा था पर भी उसको एक बूँद पानी भी नहीं मिल पा रहा था। 

    कड़ी मेहनत से दिनभर इधर उधर घूमा तो कही जाके उसे एक घड़ा दिखाई दिया। 
    वह घड़ा बहुत ही गहरा था और बहुत थोड़ा सा पानी था। साथ ही घड़े का मुँह भी छोटा था।  कौआ काफी प्रयास कर रहा था फिर भी चोंच पानी तक नहीं पहुँच पा रही थी। 

    लेकिन पानी तो पीना था।  पानी काम था, चोंच पहुंच नहीं रही थी।  अब क्या करें ? उसने हिम्मत नहीं हारी और प्रयास करता रहा, सोच ता रहा, अचानक उसे  उसे एक उपाय सूझा। 

    कौए ने पास ही पत्थर के कुछ टुकड़े देखे । मेहनत तो करनी पड़ती लेकिन पानी तो पीना ही था। कौआ एक एक पत्थर उठाने लगा और घड़े में डालता गया। 

    और देखिये – सफलता 🙂 पानी अब धीरे धीरे ऊपर आने लगा। 
    सफलता देख कौए के प्रयासों में तेरी आयी और वे लगातार पत्थर डालता गया।

    पानी अब काफी ऊपर आ चूका था, कौए की चोंच वहाँ तक पहुँच  गई, कौए ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई, खुद के प्रयास को सराहा और वहां से उड़ गया ।

    सीख:- सयम का साथ थोड़ा दिमाग लगाएंगे , मेहनत करें , तो हर परेशानी का हल संभव है।


    7. ईश्वर की योजना | Top 10 Moral Stories In Hindi

    एक बार की बात है, गांव में एक आदमी रहता था। जो बहुत आलसी था, और काम करना पसंद नहीं करता था। इसीलिए वह हमेशा खुद को खिलाने के लिए सबसे आसान तरीका खोजता था।

    एक दिन उसने एक फल का खेत ढूंढा, उसने कुछ फल चुराने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, खेत के मालिक ने उसे देख लिया। उसे पकड़ने के लिए उसकी और दौड़ा।

    मालिक को देखकर वह डर गया, और जंगल की ओर भाग गया। छुपने के लिए जंगल के अंदर चला गया। कुछ समय बीतने के बाद वह गांव की ओर चलने लगा।

    जंगल में जाते समय उसने देखा एक लोमड़ी थी, जिसके केवल दो पैर थे। उसने अपने आप सोचा, “ऐसी हालत में भी यह लोमड़ी कैसे जिंदा रह सकती है, अन्य जानवर से खुद को कैसे बचाते हैं?

    फिर आदमी ने एक शेर को अपनी दिशा में आते देखा। वह शेर को देखकर पेड़ पर चढ़ गया। वहां से उसने देखा, कि शेर उसके मुंह में एक मांस का टुकड़ा पकड़े हुए था।

    शेर को देखकर बाकी सभी जानवर भाग गए। सिर्फ उस लोमड़ी को छोड़कर, क्योंकि वह भाग नहीं सकता। आदमी ने यह देखकर हैरान था, उस लोमड़ी पर हमला करने की वजह।

    शेर ने मांस का एक टुकड़ा वहां छोड़ दिया, और चला गया। यह देखकर उस आदमी ने ईश्वर की योजना को महसूस किया। और सोचा, भगवान उसके लिए भी कुछ योजना बनाई होगी।

    वह वहां एक पेड़ के नीचे बैठ गया। किसी के आने का इंतजार करने लगा, कि कोई आकर उसे कुछ खाना खिलाए। लेकिन 2 दिन बीत चुके हैं, और वह अभी भी कुछ खाए बिना बैठे हैं।

    अंत में वह भूख को सहन नहीं कर सका, और उस स्थान से उठकर वापस गांव जाने लगा। वापस जाने के दौरान उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। उसने अपनी मन की हर बात उसे बता दी।

    उन्होंने सवाल किया, “ईश्वर लोमड़ी के प्रति इतना दयालु, और मेरे लिए इतना क्रूर क्यों था?” साधु ने उसे कुछ भोजन और पानी दिया। फिर मुस्कुराया और कहा,

    “यह सच है कि भगवान के पास सभी के लिए योजना है, आप भगवान की योजना का एक हिस्सा है। लेकिन बेटा, तुमने गलत तरीका से लिया। भगवान नहीं चाहता था कि आप लोमड़ी की तरह रहे, वह चाहता था कि आप शेर की तरह करें।”

    सीख:-   ईश्वर हमें उसके हिस्से के शक्ति और क्षमता दी है, हमें हमेशा चीजों को सकारात्मक तरीके से देखना है। और जरूरत में दूसरों की मदद करने चाहिए।


    8. माँ की ममता | नैतिक कहानियाँ हिन्दी में

    आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।

    एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।

    सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

    पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।

    घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

    सीख:- संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।



    9. दो बिल्ली और बंदर की कहानी | Top 10 Moral Stories in Hindi

    एक समय की बात है। एक गाँव में दो बिल्लिया रहती थी। वे दोनों आपस में बहुत अच्छी दोस्त थी। इसलिए वे दोनों हमेशा साथ साथ रहती थी और एक साथ मिलकर ही खाना ढूंढ़ती थी।

    एक दिन दोनों बिल्लियों को कहीं से एक बड़ी सी रोटी मिल गयी। इस बात से दोनों बिल्लियाँ बहुत खुश हुई और अब वे दोनों एक पेड़ की छाँव में जाकर रोटी का बंटवारा करने लगी। उन्होंने रोटी को तोड़कर आधा आधा कर लिया और आपस में बांट लिया।

    तभी उनमे से एक बिल्ली बोली कि उसकी रोटी का टुकड़ा थोड़ा छोटा लग रहा है और वो दूसरी बिल्ली से और रोटी का टुकड़ा मांगने लगी। लेकिन दूसरी बिल्ली ने और टुकड़ा देने से मना कर दिया।

    बस फिर क्या था दोनों बिल्लियाँ आपस में झगड़ने लगी।

    उस पेड़ पर बैठा हुआ एक बन्दर बहुत देर से दोनों बिल्लियों को झगड़ते हुए देख कर नीचे आता है और कहता है कि “तुम दोनों एक छोटी से बात पर इतना झगड़ा क्यों कर रही हो। लाओ दोनों टुकड़े मुझे दो, मैं अभी तुम दोनों को बराबर रोटी बांट कर झगड़ा यहीं ख़त्म कर देता हूँ।”

    दोनों बिल्लियों ने बन्दर की बात मान ली और रोटी के दोनों टुकड़े बंदर को दे दिए।

    अब बंदर के पास रोटी के दोनों टुकड़े थे जिन्हें वो बहुत ध्यान से देखने का नाटक करता है। थोड़ी देर बाद बन्दर ने कहा- “हां!! वास्तव में इनमे से एक टुकड़ा थोड़ा छोटा लग रहा है” और ऐसा कहकर उसने एक टुकड़े में से थोड़ा सा टुकड़ा तोड़कर खा लिया।

    बन्दर ने फिर उसी तरह दोनों टुकड़ों को देखा और फिर कहा – “अब भी दोनों तरफ बराबर नहीं है ” और फिर से वो दूसरे टुकड़े में एक टुकड़ा तोड़कर खा लेता है।

    इधर दोनों बिल्लिया आस लगाए बैठी थी कि शायद अबकी बार दोनों टुकड़े बराबर हो जायेंगे लेकिन बन्दर हर बार यह कहकर थोड़ा सा टुकड़ा खा जाता कि अब भी दोनों टुकड़े बराबर नहीं है।

    काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा और इस प्रकार बन्दर लगातार रोटी खाता रहा। रोटी के दोनों टुकड़े पहले से बहुत छोटे हो गये थे। अब दोनों बिल्लियाँ बन्दर की चालाकी को भांप गयी थी।

    बिल्लियों ने थोड़ी चालाकी दिखाते हुए कहा कि बन्दर भाई बहुत देर हो गयी है और अब आप हमें ये बचे हुए टुकड़े ही वापस कर दो हम दोनों उसमें ही खुश हो जायेंगे।

    इस पर बंदर बोला – “क्या बात कर रही हो, यहाँ मैं इतनी देर से तुम दोनों के लिए मेहनत कर रहा हूँ और देखो बराबर बाँटने के चक्कर में अब तो रोटी भी छोटी सी बची है और ये बचा हुआ टुकड़ा तो मेरी मेहनत के लिए मुझे मिलना ही चाहिए न।”

    और ऐसा कहकर बन्दर ने उस बचे हुए रोटी के टुकड़े को भी खुद ही खा लिया।

    बेचारी दोनों बिल्लियाँ देखती ही रह गयी। लेकिन अब वो कर भी क्या सकती थी। अब दोनों के पास पछताने के सिवाय कुछ नहीं कर सकती थी।

    सीख:- दूसरों से सहायता मांगने से पहले अपनी समस्याओं का समाधान खुद करना चाहिए।



    10. चार ब्राह्मण और शेर की कहानी | Top 10 Stories in Hindi

    एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था. उसके चार पुत्र थे. तीनों बड़े ब्राह्मण पुत्रों द्वारा शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया गया था, परन्तु बुद्धि की उनमें कमी थी. चौथे ब्राह्मण पुत्र को शास्त्र-ज्ञान नहीं था, परन्तु वह बुद्धिमान था.

    एक दिन चारों भाई भविष्य की चर्चा करने लगे. बड़ा भाई बोला, “हमने इतनी विद्या अर्जित की है. किंतु, जब तक इसका उपयोग न किया जाये, यह व्यर्थ है. सुना है, हमारे राज्य के राजा विद्वानों का बड़ा सम्मान करते हैं. क्यों न हम राज-दरबार जाकर उन्हें अपने ज्ञान से प्रभावित करें? पुरूस्कार स्वरुप वह अवश्य हमें अपार धन-संपदा प्रदान करेंगे.”

    सभी भाइयों को यह बात उचित प्रतीत हुई और अगले ही दिन वे राजा से मिलने चल पड़े. उन्होंने आधा रास्ता ही पार किया था कि बड़ा भाई कुछ सोचते हुए बोला, “हममें से तीन के पास विद्या है. हम राजा के पास जाकर उनसे धन अर्जित करने के पात्र हैं. किंतु, सबसे छोटा बुद्धिमान तो है, पर उसके पास विद्या नहीं है. मात्र बुद्धि के बल पर राजा से धन का अर्जन संभव नहीं है. हम इसे अपने हिस्से में से कुछ नहीं देंगे. इसका घर लौट जाना ही उचित होगा.”

    दूसरे भाई ने भी बड़े भाई का समर्थन किया, किंतु तीसरा भाई बोला, “यह हमारा भाई है. हम सब साथ पले-बढ़े हैं. इसलिए इसके साथ ऐसा व्यवहार अनुचित होगा. इसे साथ चलने देना चाहिए. मैं अपना कुछ धन इसे दे दूंगा.”

    अंत में, सभी सहमत हो और आगे की यात्रा प्रारंभ की.

    मार्ग में एक घना जंगल पड़ा. जंगल से गुजरते हुए उन्हें शेर की हड्डियों का ढेर दिखाई पड़ा. उसे देखकर बड़ा भाई बोला, “भाइयों, आज अपनी विद्या का परीक्षण करने का समय आ गया है. देखो, इस मृत शेर को. हमें अपनी-अपनी विद्या का प्रयोग कर इसे जीवित करना चाहिए.”

    सबसे बड़े भाई ने शेर की हड्डियों को इकट्ठा कर उसका ढांचा बना दिया. दूसरे भाई ने अपनी सिद्धि से हड्डियों के ढांचे पर मांस चढ़ाकर रक्त का संचार कर दिया. तीसरा भाई अपनी विद्या से शेर में प्राणों का संचार करने आगे बढ़ा, तो चौथे भाई ने उसे रोक दिया और बोला, “भैया, कृपा कर ऐसा अनर्थ मत कीजिये. यदि यह शेर जीवित हुआ, तो हम सबके प्राण हर लेगा.”

    यह सुनकर तीसरा भाई क्रोधित हो गया, वह बोला, “मूर्ख, तुम्हारे साथ चलने का समर्थन कर कदाचित् मैंने त्रुटि कर दी है. तुम चाहते हो कि मैं अपनी विद्या नष्ट कर दूं. किंतु, ऐसा कतई नहीं होगा. मैंने इस शेर को अवश्य जीवित करूंगा.”

    चौथा भाई बोला, “क्षमा करें भैया. मेरा अर्थ यह कतई नहीं था. आपको जो उचित लगे करें. बस मुझे किसी वृक्ष पर चढ़ जाने दें.”

    यह कहकर वह एक ऊँचे वृक्ष पर चढ़ गया. तीसरे भाई ने अपने विद्या से शेर को जीवित कर दिया. परन्तु, जैसे ही शेर जीवित हुआ, उसने तीनों भाइयों पर आक्रमण कर उन्हें मार डाला.

    चौथा भाई, जिसने बुद्धि का प्रयोग किया था, वह वृक्ष पर बैठा यह सब देख रहा था. वह वृक्ष से तब तक नहीं उतरा, जब तब शेर चला नहीं गया. सिंह के जाने के बाद वह वृक्ष से उतरा और गाँव लौट गया.


    सीख:- बुद्धि सदैव विद्या से श्रेष्ठ होती है. शास्त्रों में निपुण होने पर भी लोक-व्यवहार न जानने वाला व्यक्ति हमेशा उपहास का पात्र बनता है या समस्या को आमंत्रित करता है.


    इन्हें भी पढ़ें :- Happy Birthday Shayari In Hindi

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