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सी वी रमन की जीवनी | C V Raman Biography, wife, life, achievement, Death, in Hindi

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सी वी रमन की जीवन परिचय

सर सीवी रमन का जन्म ( CV Raman Birth Date ) 7 नवम्बर 1888 को दक्षिण भारत के तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली नामक शहर ( CV Raman Birth Place ) के ब्राह्मण परिवार में हुआ था सी वी रमन का पूरा के  चन्द्रशेखर वेंकटरमन था, उनकेपिता चंद्रशेखर अय्यर ( CV Raman Father Name ) एवी नरसिम्हाराव महाविद्यालय, विशाखापत्तनम, (आधुनिक आंध्र प्रदेश) में फिजिक्स और गणित के एक प्रख्यात प्रवक्ता ( व्याख्याता ) थे | सीवी रमन जब चार साल के थे तभी उनके पिता का तबादला विशाखापत्तनम में हो गया |CV Raman Biography In Hindi

सी वी रमन की शिक्षा | C V Raman Education

सीवी रमन के पिता को पढने का बहुत शौक था वो किताबों को बहुत ही संजों के रखते थे, जिस वजह से उन्होंने घर में ही एक छोटी सी लाइब्रेरी बना ली थी | सीवी रमन की माता ( CV Raman Mother Name ) पार्वती अम्मल एक सुसंस्कृत परिवार की महिला थीं | सीवी रमन अपने माता – पिता की दूसरी संतान थे | चंद्रशेखर वेंकटरमन बचपन से ही प्रखर बुद्धि के छात्र थे | उन्होंने बचपन में ही वह बहुत सारे हिंदी और अंग्रेजी के उपन्यास पढ़ लिए थे |

स्कूली शिक्षा के लिए वे विशाखापत्तनम शहर चले गए और वहा के सेंट अलॉयसियस एग्लों इंडियन हाई स्कुल में पढाई की और उन्होंने बहुत ही कम उम्र यानि 11 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली, सी वी रमन ने अपनी आगे की शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास से प्राप्त की. उन्होंने 1904 में B.A. और 1907 में भौतिक विज्ञान से M.Sc. की परीक्षा उत्तीर्ण की. M.Sc. की परीक्षा के दौरान रमन ने प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास में प्रथम स्थान प्राप्त किया. भौतिक विज्ञान से रमन को काफी लगाव था. उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों से ही शोध करना आरंभ कर दिया था. वह ग्लेशियर के नीले रंग से बहुत प्रभावित थे और समुद्र के नीले पानी के रहस्य को हल करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने ‘प्रकाश के बिखरने’ Scattering of light के विषय में कई लगातार प्रयोग किए और बाद में इन्हीं मेहनत के कारण उन्होंने इस को सुलझाया और  वही आज रमन इफ़ेक्ट के नाम से जाना जाता है, सन 1996 में प्रकाश विवर्तन पर उनका पहला लेख प्रकाशित किया गया था.


सी वी रमन का वैवाहिक जीवन | marital Life of C V Raman

6 मई 1907 को सी वी रमन का विवाह लोकसुन्दरी अम्मला से हुआ था. इनकी शादी एक प्रेम विवाह जैसी ही थी. दरअसल एक दिन C V Raman एक लड़की को विणा बजाते हुए देखा. विणा की मधुर आवाज ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया. उस आवाज का उन पर ऐसा जादू चला कि वे उस लड़की पर लट्टू हो गए.

 अगले दिन उन्होंने उस लड़की के माता – पिता से मुलाकात की और विवाह की इच्छा जताई. उस लड़की का नाम लोकसुंदरी था. लोकसुंदरी के माता – पिता उसका विवाह रमन के साथ करने के लिए तैयार हो गए. सीवी रमन विवाह के बाद अपनी धर्म पत्नी को लेकर कलकत्ता चले गए लोकसुंदरी एक कुशल गृहणी थीं वह सीवी रमन को घर की चिंताओं से दूर रखती | जिसकी वजह से Sir C.V. Raman अपना पूरा ध्यान भौतिकी में अपने शोध पर लगा पाए |


सी वी रमन का सहायक लेखपाल के तौर पर करियर की शुरुआत

एम. ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे ब्रिटिश भारत सरकार के लेखा-विभाग की परीक्षा में बैठे और प्रथम स्थान प्राप्त किए। इस प्रकार आप डिप्टी एकाउटेंट जनरल के रूप में कलकत्ता में सरकारी दफ्तर में अपना सेवा देने लगे यद्यपि उनकी रुचि इस क्षेत्र में बिल्कुल भी नहीं थी।

 इस दौरान एक दिन उनकी मुलाकात इण्डियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइन्स के सचिव डॉ आशुतोष मुखर्जी से हुई।

डॉ आशुतोष मुखर्जी से वे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इण्डियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइन्स की सदस्यता ग्रहण कर ली। वे अपने खाली समय का सदुपयोग भौतिक विज्ञान के शोध पर देने लगे। उन्हें अपने अनुसंधान में सफलता मिलने लगी।


विज्ञान के क्षेत्र में योगदान

वर्ष 1917 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और ‘इण्डियन एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ साइंस’ के अंतर्गत भौतिक शास्त्र में पालित चेयर स्वीकार कर ली | सन् 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर के तौर पर उनको नियुक्त किया गया | ‘ऑप्टिकस’ के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 1924 में रमन को लन्दन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया और यह किसी भी वैज्ञानिक के लिये बहुत सम्मान की बात थी |

‘रमन इफ़ेक्ट’ की खोज 28 फरवरी 1928 को हुई | रमन ने इसकी घोषणा अगले ही दिन विदेशी प्रेस में कर दी और वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर’ ने उसे प्रकाशित किया | इसके बाद धीरे-धीरे विश्व की सभी प्रयोगशालाओं में ‘रमन इफेक्ट’ पर अन्वेषण होने लगा |

वेंकट रमन को वर्ष 1929 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया गया | वर्ष 1930 में प्रकाश के प्रकीर्णन और रमण प्रभाव की खोज के लिए उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया | वर्ष 1934 में रमन को बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान का निदेशक बनाया गया | CV Raman Biography In Hindi

उन्होंने स्टिल की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टिल डाइनेमिक्स के बुनियादी मुद्दे, हीरे की संरचना और गुणों और अनेक रंगदीप्त पदार्थो के प्रकाशीय आचरण पर भी शोध किया | उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति की खोज की थी | वर्ष 1948 में वो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस (आईआईएस) से सेवानिवृत्त हुए | इसके पश्चात उन्होंने बेंगलुरू में रमन रिसर्च इंस्टीटयूट की स्थापना की |

प्रमुख योगदान

  1. रमन इफ़ेक्ट’ की खोज।
  2. उन्होंने  अनुसंधान के माध्यम से दिखाया की जब प्रकाश एक पारदर्शी सामग्री को पार करता है, तो कुछ विचलित प्रकाश तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन लाते हैं।
  3. 20 वी सदी में उन्होंने भौतिकी के क्षेत्र में एक नया क्रांति छेड़ा

सी वी रमन को मिले पुरूस्कार एवं सम्मान

  1. वेंकटरमन साल 1928 में अनुसंधान के लिए रॉयल सोसायटी लंदन के फेलो बन गए।
  2. रमन प्रभाव या रमन इफेक्ट (Raman effect) के लिए साल 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
  3. चंद्रशेखर वेंकटरमन, पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  4. सन 1948, सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने रमन शोध संस्थान बेंगलुरु स्थापना की, इसी संस्थान में शोध करते रहे।
  5. साल 1954 में भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया।
  6. साल 1957 में लेलिन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
  7. 27 फरवरी 1928 को चंद्रशेखर वेंकटरमन ने रमन प्रभाव की खोज की थी। जिसकी याद में भारत में इस दिन को प्रत्येक वर्ष “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।


    सी वी रमन के चर्चित कथन

  • म अपनी असफलता के खुद ही जिम्मेवार है. अगर हम असफल नहीं होंगे तो हम कभी भी कुछ भी सीख नहीं पायेंगे. असफलता से ही सफलता पाने के लिए प्रेरित होते है.
  • हम अक्सर यह अवसर तलासते रहते है कि खोज कहा से की जाये, लेकिन हम यह देखते है प्राकृतिक घटना के प्रारंभिक बिंदु में ही एक नई शाखा का विकास छुपा हुआ है.
  • अगर कोई आपके बारे में वे अपने तरीके से सोचता है, तो वह अपने दिमाग के सबसे अच्छे जगह को बर्बाद करता है और यह उनकी समस्या हो सकती है आपकी नहीं.
  • जिस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए मैंने 7 साल तक मेहनत करते हुए इंतजार किया और जब नोबेल पुरस्कार की घोषणा हुई, तो मैंने इसे अपना और अपने सहयोगी की उपलब्धि माना. लेकिन जब मै ब्रिटिश जैक में बैठा था और जब मै पीछे मुड कर देखा तब मुझे यह अहसास हो रहा था कि मेरा देश भारत कितना गरीब है, कि उसके पास अपने देश का एक झंडा भी नहीं है यह मेरे लिए बहुत पीड़ादायक स्थिति थी, और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा सारा शरीर टूट रहा है.
  • आप ये हमेशा नहीं चुन सकते की कौन आपके जीवन में आएगा, लेकिन जो भी हो आप उनसे हमेशा शिक्षा ले सकते हो वो हमेशा आपको एक सीख ही देगा.

सी वी रमन की मृत्यु

82 वर्ष की अवस्था में भी सर सी.वी रमन बंगलुरु में स्थित अपनी लैब में काम कर रहे थे और अचानक दिल का दौरा पड़ने से गिर पड़े। डॉक्टर्स ने साफ़ कर दिया कि अब उनके पास जीने के लिए गिने-चुने दिन ही शेष हैं और उन्हें हॉस्पिटल में ही रहने की सलाह दी। पर वे अपना आखिरी वक़्त रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट के कैंपस में बिताना चाहते थे और वहीँ चले गए। 21 नवम्बर 1970 की सुबह इस महान शख्सियत का देहांत हो गया। मरने से दो दिन पहले उन्होंने कहा था ।


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