Mobile Logo Settings

Ticker

6/recent/ticker-posts

Biography of aryabhatta | आर्यभट्ट की जीवनी हिन्दी में

 आज हम जानेंगे की आर्यभट्ट की जीवनी हिन्दी में aryabhatt ki jivni hindi me Biography of aryabhatt in hindi आर्यभट्ट के बारे में रोचक तथ्य rochak tathya Indians website

Aryabhatta Biography In Hindi | आर्यभट्ट की जीवनी

Aryabhatta Biography in hindi


आर्यभट्ट का नाम हमारे भारत के इतिहास किर्ति को स्थापित करने में एक अमूल्य भूमिका निभाता है आर्यभट्ट एक महान गणितज्ञ, ज्योतिशविद और खगोलशास्त्री थे, जिनहोने अपने ज्ञान के आधार पर बताया की पृथ्वी 365 दिन 6 घंटे और 12 मिनट और 30 सेकंड में सूर्य का एक चक्कर लगती है तो चलिये जानते है आर्यभट्ट के बारे में।

आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ 

आर्यभट्ट के जन्म के बारे में वैसे तो इतिहासकारों के अलग अलग मत है परंतु समान्यतः यह माना जाता है की आर्यभट्ट का जन्म 476 ईसा पूर्व मे बिहार पटना के कुसुमपुर में हुआ एक अन्य मत यह है की आर्यभट्ट का जन्म महराष्ट्र के अश्मक स्थान में हुआ और उन्होने अपनी शिक्षा के लिए बिहार के कुसुमपुर में आए जो वर्तमान मे पटना के नाम से जाना जाता है, और आर्यभट्ट ने अपनी शिक्षा कुसुमपुर बिहार से ही प्राप्त की ।

आर्यभट्ट के कार्य एवं रचनाएँ

आर्यभट्ट ने अनेक क्षेत्रो मे अपना योगदान दिया है जैसे- गणित, खगोलविज्ञान, ज्योतिषशास्त्र, कृतिया, पाई एवं शून्य की खोज आदि तो चलिये एक एक करके आर्यभट्ट के योगदान के बारे में जानते है-

आर्यभट्ट का सिद्धांत

आर्यभट्ट की इस रचना में निम्नलिखित खगोलीय यंत्रो और उपकारणों का उल्लेख मिलता हैं.

  1. छाया यन्त्र (Shadow Instrument)
  2. कोण मापी उपकरण (Angle Measuring Device)
  3. धनुर यंत्र / चक्र यंत्र (Semi Circular/Circular Instrument)
  4. शंकु यन्त्र (Gnomon)
  5. छत्र यन्त्र (Umbrella Shaped Device)
  6. जल घडी (Water Clock)
  7. बेलनाकार यस्ती यन्त्र (Cylindrical Stick)

गणित में योगदान

आर्यभट्ट ने पाई एवं शून्य की खोज की इस बात का साक्ष्य उनकी रचनाओं आर्यभट्टिका के गणितपद 10 मे मिलता है आर्यभट्ट ने स्थान मूल्य प्रणाली पर कार्य किया, जिसमें संख्याओं को चिन्हित करने और गुणों को व्यक्त करने के लिए शब्दों का उपयोग किया उन्होंने पाई () और त्रिकोण के क्षेत्र के अन्तराल को प्रस्तुत किया।

खगोलविज्ञान में योगदान

आर्यभट  के  खगोलशास्त्र  के सिद्धांतों  को  सामूहिक  रूप  से  Audayaka  System  कहते  हैं.  उनके  बाद  की  कुछ  रचनाओं  में  पृथ्वी  के  परिक्रमा  की  बात  कही  गयी  हैं  और  उनका  यह  भी  मानना  था  कि  पृथ्वी  की  कक्षा  गोलाकार  नहीं,  अपितु  दीर्घवृत्तीय  हैं, साथ ही साथ उन्होने यह भी अपनी पुस्तक आर्यभट्टिका में बताया की पृथ्वी सूर्य के चारो और चक्कर लगती है इसलिए तारों की स्थिति बदलती रहती है उनके खगोलशास्त्र के सिद्धांत के समूह को ओड़ायका सिस्टम कहते है  

आर्यभट्ट ने यह भी बताया की ग्रहण मुख्य रूप से पृथ्वी पर पड़ने वाली छाया है जो ग्रहों के एक दूसरे के बीच में आ जाने के कारण पड़ती है,

और आर्यभट्ट ने यह भी बताया की सूर्य सभी ग्रहों का केंद्र है जिसके चारो और सभी ग्रह घूमते है।

ज्योतिषशास्त्र के क्षेत्र में योगदान

आर्यभट्ट ने लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले ही ज्योतिष विज्ञान की खोज करली थी, जब इतने उन्नत साधन एवं उपकरण भी उपलब्ध नही थे.

आर्यभट्ट के बारे में रोचक तथ्य

  1. हम सब जो त्रिकोणमिति पढ़ते है उसकी खोज आर्यभट्ट ने ही की थी.
  2. आर्यभट्ट ने दशगीतिका भाग में पहले पांच ग्रहों की गणना एवं हिन्दू कालगणना और त्रिकोणमिति की चर्चा की है.
  3. आर्यभट ने  सूर्य  सिद्धांत  की  भी  रचना  की.
  4. शून्य की खोज करने वाले महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जी का मानना था कि सौर मंडल के केन्द्र में स्थित है, पृथ्वी समेत अन्य ग्र्ह इसके परिक्रमा करते हैं।
  5. आर्यभट ने बिहार  के  तरेगाना  क्षेत्र  में सूर्य  मंदिर  में  एक  निरिक्षण  शाला  की स्थापना  की.
  6. महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने पाई का मान (3.1416) को दशमलव के चार अंकों तक ही सही बताया था।
  7. इनके लोकप्रिय ग्रन्थ आर्यभटीय को आर्यभटीय नाम इनके 100 साल बाद भारतीय गणितज्ञ भास्कर ने दिया था.

आर्यभट्ट की मृत्यु

आर्यभट्ट की मृत्यु का समय व स्थान का पूर्ण रूप से नहीं पता चल पाया है परंतु या माना जाता है की आर्यभट्ट की मृत्यु ई.स. 550 (74 वर्ष) में हुई थी.

Post a Comment

0 Comments